शनि के
अनुचर हैं
राहु और
केतु। शरीर
में इनके
स्थान
नियुक्त
हैं। सिर
राहु
है तो
केतु धड़।
यदि आपके गले
सहित ऊपर
सिर तक किसी
भी
प्रकार
की गंदगी या
खार जमा है
तो राहु का
प्रकोप आपके
ऊपर
मँडरा
रहा है और यदि
फेफड़ें,
पेट और पैर
में किसी भी
प्रकार
का
विकार है तो
आप केतु के
शिकार हैं।
राहु और केतु
की
भूमिका
एक पुलिस
अधिकारी की
तरह है जो
न्यायाधीश
शनि के
आदेश
पर कार्य
करते हैं।
शनि
का रंग
नीला, राहु का
काला और
केतु का सफेद
माना जाता
है।
शनि के
देवता
भैरवजी हैं,
राहु
की
सरस्वतीजी
और केतु के
देवता भगवान
गणेशजी है।
शनि का पशु
भैंसा, राहु
का
हाथी और
काँटेदार
जंगली चूहा
तथा केतु का
कुत्ता, गधा,
सुअर
और
छिपकली है।
शनि का वृक्ष
कीकर, आँक व
खजूर का
वृक्ष,
राहु
का
नारियल
का
पेड़ व
कुत्ता घास
और केतु का
इमली का
दरख्त, तिल के
पौधे व केला
है।
शनि
शरीर के
दृष्टि, बाल,
भवें,
हड्डी
और कनपटी
वाले हिस्से
पर, राहु सिर
और ठोड़ी पर
और
केतु कान,
रीढ़, घुटने,
लिंग और
जोड़ पर
प्रभाव
डालता
है।📢काल योग
सेवा केंद्र
शिमला 34 c
केनरा बैंक
के सामने
राहु की मार :
यदि व्यक्ति
अपने शरीर
के अंदर किसी
भी
प्रकार
की गंदगी
पाले रखता है
तो उसके ऊपर
काली छाया
मंडराने
लग
ती है अर्थात
राहु के फेर
में व्यक्ति
के
साथ
अचानक होने
वाली घटनाएँ
बढ़ जाती
है। घटना-
दुर्घटनाएँ,
होनी-अनहोनी
और
कल्पना-
विचार की जगह
भय और
कुविचार जगह
बना लेते
हैं।
राहु
के फेर में
आया व्यक्ति
बेईमान या
धोखेबाज
होगा।
राहु
ऐसे व्यक्ति
की तरक्की
रोक देता है।
राहु का खराब
होना
अर्थात्
दि
2350;ाग की
खराबियाँ
होंगी,
व्यर्थ के
दुश्मन पैदा
होंगे, सिर
में
चोट लग
सकती है।
व्यक्ति
मद्यपान या
संभोग में
ज्यादा
रत
रह सकता है।
राहु के खराब
होने से
गुरु भी साथ
छोड़ देता
है। राहु के
अच्छा होने
से
व्यक्ति
में श्रेष्ठ
साहित्यकार,
दार्शनिक,वै
332;्ञा निक या
फिर
रहस्यमय
विद्याओं के
गुणों
का
विकास होता
है।
इसका
दूसरा पक्ष
यह कि इसके
अच्छे
होने
से राजयोग भी
फलित हो
सकता है।
आमतौर पर
पुलिस या
प्रशासन में
इसके लोग
ज्यादा
होते
हैं।
केतु
की मार : जो
व्यक्ति
जुबान और दिल
से गंदा
है
और रात होते
ही जो रंग बदल
देता है वह
केतु का
शिकार बन
जाता है। यदि
व्यक्ति
किसी के
साथ
धोखा, फरेब,
अत्याचार
करता
है तो
केतु उसके
पैरों से ऊपर
चढ़ने लगता
है और ऐसे
व्यक्ति
के
जीवन की सारी
गतिविधियाँ
रुकने लगती
है। नौकरी,
धंधा,
खाना
और पीना सभी
बंद होने
लगता है। ऐसा
व्यक्ति
सड़क पर
या
जेल में सोता
है घर पर
नहीं। उसकी
रात की नींद
हराम
रहती
है, लेकिन दिन
में सोकर
वह
सभी जीवन
समर्थक
कार्यों
से
दूर होता
जाता है।
केतु के
खराब होने से
व्यक्ति
पेशाब
की
बीमारी,
जोड़ों का
दर्द,
सन्तान
उत्पति में
रुकावट और
गृहकलह से
ग्रस्त
रहत
2366; है।
केतु
के अच्छा
होने से
व्यक्ति पद,
प्रतिष्ठा
और
संतानों
का सुख उठाता
है और
रात की
नींद चैन से
सोता
है।
शनि की
मार : पराई
स्त्री
के
साथ रहना,
शराब पीना,
माँस
खाना,
झूठ बोलना,
धर्म की
बुराई करना
या मजाक
उड़ाना,पिता
व पूर्वजों
का
अपमान
करना और
ब्याज का
धंधा
करना
प्रमुख रूप
से यह सात
कार्य शनि को
पसंद
नहीं।
उक्त
में से जो
व्यक्ति कोई-
सा भी कार्य
करता
है शनि
उसके
कार्यकाल
में
उसके
जीवन से
शांति, सुख और
समृद्धि
छिन लेता
है।
व्यक्त
ि बुराइयों
के
रास्ते
पर चलकर खुद
बर्बाद हो
जाता है। शनि
उस सर्प की
तरह
है
जिसके काटने
पर व्यक्ति
की
मृत्यु
तय है।शनि के
अशुभ
प्रभाव के
कारण मकान या
मकान
का
हिस्सा गिर
जाता है या
क्षतिग्रस्
40; हो जाता है,
नहीं
तो
कर्ज या
लड़ाई- झगड़े
के
कारण
मकान बिक
जाता है।
अंगों
के
बाल तेजी से
झड़ जाते
हैं।
अचानक
आग लग सकती
है। धन,
संपत्ति का
किसी भी तरह
नाश
होता
है। समय
पूर्व दाँत
और
आँख की
कमजोरी। शनि
की स्थिति
यदि शुभ है तो
व्यक्ति हर
क्षेत्र में
प्रगति करता
है।
उसके
जीवन में
किसी भी
प्रकार
का
कष्ट नहीं
होता। बाल और
नाखून
मजबूत होते
हैं। ऐसा
व्यक्ति
न्यायप्रीय
होता है
और
समाज में मान-
सम्मान खूब
रहता
हैं।
बचाव
का तरीका
:
शनि के
उपाय-
सर्वप्रथम
भैरवजी के
मंदिर
जाकरउनसे
अपने पापों
की क्षमा
माँगे।
जुआ,
सट्टा, शराब,
वैश्या से
संपर्क, धर्म
की बुराई,
पिता-
पूर्वजों का
अपमान और
ब्याज
आदि
कार्यों से
दूर रहें।
शरीर के सभी
छिद्रों को
प्रतिदिन
अच्छे से साफ
रखें।
दाँत,
बाल और
नाखूनों की
सफाई
रखें।
कौवे को
प्रतिदिन
रोटी
खिलाएँ।
छायादान
करें,
अर्थात
कटोरी में
थोड़ा-सा
सरसो का तेल
लेकर अपना
चेहरा
देखकर शनि
मंदिर में रख
आएँ।
अंधे,
अपंगों,
सेवकों और
सफाईकर्मिय
79;ं से अच्छा
व्यवहार
रखें। रात को
सिरहाने
पानी रखें और
उसे
सुबह
कीकर, आँक या
खजूर के
वृक्ष पर
चढ़ा
आएँ।
राहु
के
उपाय- सिर
पर चोटी रख
सकते हैं,
लेकिन किसी
लाल किताब के
विशेषज्ञ
से पूछकर।
भोजन
भोजनकक्ष
में ही करें।
ससुराल
पक्ष से
अच्छे संबंध
रखें। रात
को सिरहाने
मूली
रखें
और उसे सुबह
किसी मंदिर
में दान कर
दें।
केतु
के
उपाय-
संतानें
केतु हैं।
इसलिए
संतानों से
संबंध
अच्छे रखें।
भगवान गणेश
की
आराधना
करें।
दोरंगी
कुत्ते
को
रोटी
खिलाएँ। कान
छिदवाएँ।
कुत्ता भी
पाल सकते
हैं, लेकिन
किसी लाल
किताब के
विशेषज्ञ से
पूछकर।
रा
361;ु-
केतु और
शनि को
प्रसन्न
करने
के खास
उपाय :
शनि
को प्रसन्न
करने के लिए
बताए गए खास
उपायों में
से एक उपाय है,
किसी
कुत्ते को
तेल चुपड़ी
हुई रोटी
खिलाना।
अधिकतर लोग
प्रतिदिन
कुत्ते को
रोटी तो
खिलाते ही
हैं ऐसे में
यदि
रोटी पर
तेल लगाकर
कुत्ते को
खिलाई जाए तो
शनि के दोषों
से
मुक्ति
मिलती
है।कुत्ता
शनिदेव का
वाहन है और जो
लोग
कुत्ते
को खाना
खिलाते हैं
उनसे शनि अति
प्रसन्न
होते
हैं।शनि
महाराज की
प्रसन्नता
के बाद
व्यक्ति को
परेशानियों
के कष्ट से
मुक्ति मिल
जाती
है।साढ़ेसा
40;ी हो या
ढैय्या
या
कुंडली का
अन्य कोई दोष
इस
उपाय से
निश्चित ही
लाभ होता
है। कुत्ते
को तेल
चुपड़ी
रोटी खिलाने
से शनि के साथ
ही
राहु-
केतु से
संबंधित
दोषों
का भी
निवारण हो
जाता है।
राहु-केतु के
योग कालसर्प
योग
से
पीड़ित
व्यक्तियों
को यह
उपाय
लाभ
पहुंचाता
है। इसके
अलावा निम्न
मंत्रों से
भी
पीड़ित
जातकों को
अत्यंत
फायदा
पहुंचता है।
राहु
मंत्र
को अगर सिद्ध
किया जाए
तो
राहु से जुड़ी
परेशानियां
समाप्त होती
हैं। ध्यान
रहे
कि राहु
मंत्र की
माला का जाप 8
बार किया
जाता
है।
राहु
मंत्र-
ह्रीं
अर्धकायं
महावीर्य
चंद्रादित्य
;
विमर्दनम्।
सिंहिका
गर्भ
संभूतं तं
राहुं
प्रणमाम्यह
50;्।
ॐ भ्रां
भ्रीं
भ्रौं स:
राहवे नम:।
ॐ
शिरोरूपाय
विद्महे
अमृतेशाय
धीमहि तन्नो
राहु
प्रचोदयात्
04;
केतु
मंत्र-
केतु
मंत्र का जाप 8
बार किया
जाता है।
ॐ
पलाशपुष्पस
06;काशं
तारकाग्रह
मस्तकम्।
र
ौद्रं
रौद्रात्मक
06; घोरं तं
केतुं
प्रणमाम्यह
50;।।
ॐ
स्त्रां
स्त्रीं
स्त्रौं स:
केतवे
नम:।
ॐ
पद्मपुत्राय
;
विद्महे
अमृतेशाय
धीमहि
तन्नो केतु:
प्रचोदयात्
04;आचार्य
महिंदर
कृष्ण शर्मा
काल योग गो
सेवा
ट्रस्ट 9218200013,14 8263882638
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